ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
Ik▫oaⁿkaar saṫgur parsaaḋ.
One Universal Creator God. By The Grace Of The True Guru:
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ਰਾਮਕਲੀ ਕੀ ਵਾਰ ਮਹਲਾ ੩ ॥
रामकली की वार महला ३ ॥
Raamkalee kee vaar mėhlaa 3.
Vaar Of Raamkalee, Third Mehl,
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ਜੋਧੈ ਵੀਰੈ ਪੂਰਬਾਣੀ ਕੀ ਧੁਨੀ ॥
जोधै वीरै पूरबाणी की धुनी ॥
Joḋʰæ veeræ poorbaaṇee kee ḋʰunee.
To Be Sung To The Tune Of ’Jodha And Veera Poorbaanee’:
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ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੩ ॥
सलोकु मः ३ ॥
Salok mėhlaa 3.
Shalok, Third Mehl:
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ਸਤਿਗੁਰੁ ਸਹਜੈ ਦਾ ਖੇਤੁ ਹੈ ਜਿਸ ਨੋ ਲਾਏ ਭਾਉ ॥
सतिगुरु सहजै दा खेतु है जिस नो लाए भाउ ॥
Saṫgur sahjæ ḋaa kʰéṫ hæ jis no laa▫é bʰaa▫o.
The True Guru is the field of intuitive wisdom. One who is inspired to love Him,
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ਨਾਉ ਬੀਜੇ ਨਾਉ ਉਗਵੈ ਨਾਮੇ ਰਹੈ ਸਮਾਇ ॥
नाउ बीजे नाउ उगवै नामे रहै समाइ ॥
Naa▫o beejé naa▫o ugvæ naamé rahæ samaa▫é.
plants the seed of the Name there. The Name sprouts up, and he remains absorbed in the Name.
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ਹਉਮੈ ਏਹੋ ਬੀਜੁ ਹੈ ਸਹਸਾ ਗਇਆ ਵਿਲਾਇ ॥
हउमै एहो बीजु है सहसा गइआ विलाइ ॥
Ha▫umæ ého beej hæ sahsaa ga▫i▫aa vilaa▫é.
But this egotism is the seed of skepticism; it has been uprooted.
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ਨਾ ਕਿਛੁ ਬੀਜੇ ਨ ਉਗਵੈ ਜੋ ਬਖਸੇ ਸੋ ਖਾਇ ॥
ना किछु बीजे न उगवै जो बखसे सो खाइ ॥
Naa kichʰ beejé na ugvæ jo bakʰsé so kʰaa▫é.
It is not planted there, and it does not sprout; whatever God grants us, we eat.
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ਅੰਭੈ ਸੇਤੀ ਅੰਭੁ ਰਲਿਆ ਬਹੁੜਿ ਨ ਨਿਕਸਿਆ ਜਾਇ ॥
अ्मभै सेती अ्मभु रलिआ बहुड़ि न निकसिआ जाइ ॥
Ambʰæ séṫee ambʰ rali▫aa bahuṛ na niksi▫aa jaa▫é.
When water mixes with water, it cannot be separated again.
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ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਚਲਤੁ ਹੈ ਵੇਖਹੁ ਲੋਕਾ ਆਇ ॥
नानक गुरमुखि चलतु है वेखहु लोका आइ ॥
Naanak gurmukʰ chalaṫ hæ vékʰhu lokaa aa▫é.
O Nanak! The Gurmukh is wonderful; come, people, and see!
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ਲੋਕੁ ਕਿ ਵੇਖੈ ਬਪੁੜਾ ਜਿਸ ਨੋ ਸੋਝੀ ਨਾਹਿ ॥
लोकु कि वेखै बपुड़ा जिस नो सोझी नाहि ॥
Lok kė vékʰæ bapuṛaa jis no sojʰee naahi.
But what can the poor people see? They do not understand.
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ਜਿਸੁ ਵੇਖਾਲੇ ਸੋ ਵੇਖੈ ਜਿਸੁ ਵਸਿਆ ਮਨ ਮਾਹਿ ॥੧॥
जिसु वेखाले सो वेखै जिसु वसिआ मन माहि ॥१॥
Jis vékʰaalé so vékʰæ jis vasi▫aa man maahi. ||1||
He alone sees, whom the Lord causes to see; the Lord comes to dwell in his mind. ||1||
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ਮਃ ੩ ॥
मः ३ ॥
Mėhlaa 3.
Third Mehl:
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ਮਨਮੁਖੁ ਦੁਖ ਕਾ ਖੇਤੁ ਹੈ ਦੁਖੁ ਬੀਜੇ ਦੁਖੁ ਖਾਇ ॥
मनमुखु दुख का खेतु है दुखु बीजे दुखु खाइ ॥
Manmukʰ ḋukʰ kaa kʰéṫ hæ ḋukʰ beejé ḋukʰ kʰaa▫é.
The self-willed Manmukh is the field of sorrow and suffering. He plains sorrow, and eats sorrow.
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ਦੁਖ ਵਿਚਿ ਜੰਮੈ ਦੁਖਿ ਮਰੈ ਹਉਮੈ ਕਰਤ ਵਿਹਾਇ ॥
दुख विचि जंमै दुखि मरै हउमै करत विहाइ ॥
Ḋukʰ vich jammæ ḋukʰ maræ ha▫umæ karaṫ vihaa▫é.
In sorrow he is born, and in sorrow he dies. Acting in egotism, his life passes away.
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ਆਵਣੁ ਜਾਣੁ ਨ ਸੁਝਈ ਅੰਧਾ ਅੰਧੁ ਕਮਾਇ ॥
आवणु जाणु न सुझई अंधा अंधु कमाइ ॥
Aavaṇ jaaṇ na sujʰ▫ee anḋʰaa anḋʰ kamaa▫é.
He does not understand the coming and going of reincarnation; the blind man acts in blindness.
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ਜੋ ਦੇਵੈ ਤਿਸੈ ਨ ਜਾਣਈ ਦਿਤੇ ਕਉ ਲਪਟਾਇ ॥
जो देवै तिसै न जाणई दिते कउ लपटाइ ॥
Jo ḋévæ ṫisæ na jaaṇ▫ee ḋiṫé ka▫o laptaa▫é.
He does not know the One who gives, but he is attached to what is given.
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ਨਾਨਕ ਪੂਰਬਿ ਲਿਖਿਆ ਕਮਾਵਣਾ ਅਵਰੁ ਨ ਕਰਣਾ ਜਾਇ ॥੨॥
नानक पूरबि लिखिआ कमावणा अवरु न करणा जाइ ॥२॥
Naanak poorab likʰi▫aa kamaavaṇaa avar na karṇaa jaa▫é. ||2||
O Nanak! He acts according to his preordained destiny. He cannot do anything else. ||2||
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ਮਃ ੩ ॥
मः ३ ॥
Mėhlaa 3.
Third Mehl:
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ਸਤਿਗੁਰਿ ਮਿਲਿਐ ਸਦਾ ਸੁਖੁ ਜਿਸ ਨੋ ਆਪੇ ਮੇਲੇ ਸੋਇ ॥
सतिगुरि मिलिऐ सदा सुखु जिस नो आपे मेले सोइ ॥
Saṫgur mili▫æ saḋaa sukʰ jis no aapé mélé so▫é.
Meeting the True Guru, everlasting peace is obtained. He Himself leads us to meet Him.
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ਸੁਖੈ ਏਹੁ ਬਿਬੇਕੁ ਹੈ ਅੰਤਰੁ ਨਿਰਮਲੁ ਹੋਇ ॥
सुखै एहु बिबेकु है अंतरु निरमलु होइ ॥
Sukʰæ éhu bibék hæ anṫar nirmal ho▫é.
This is the true meaning of peace, that one becomes immaculate within oneself.
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ਅਗਿਆਨ ਕਾ ਭ੍ਰਮੁ ਕਟੀਐ ਗਿਆਨੁ ਪਰਾਪਤਿ ਹੋਇ ॥
अगिआन का भ्रमु कटीऐ गिआनु परापति होइ ॥
Agi▫aan kaa bʰaram katee▫æ gi▫aan paraapaṫ ho▫é.
The doubt of ignorance is eradicated, and spiritual wisdom is obtained.
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ਨਾਨਕ ਏਕੋ ਨਦਰੀ ਆਇਆ ਜਹ ਦੇਖਾ ਤਹ ਸੋਇ ॥੩॥
नानक एको नदरी आइआ जह देखा तह सोइ ॥३॥
Naanak éko naḋree aa▫i▫aa jah ḋékʰaa ṫah so▫é. ||3||
Nanak comes to gaze upon the One Lord alone; wherever he looks, there He is. ||3||
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ਪਉੜੀ ॥
पउड़ी ॥
Pa▫oṛee.
Pauree:
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ਸਚੈ ਤਖਤੁ ਰਚਾਇਆ ਬੈਸਣ ਕਉ ਜਾਂਈ ॥
सचै तखतु रचाइआ बैसण कउ जांई ॥
Sachæ ṫakʰaṫ rachaa▫i▫aa bæsaṇ ka▫o jaaⁿ▫ee.
The True Lord created His throne, upon which He sits.
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ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਆਪੇ ਆਪਿ ਹੈ ਗੁਰ ਸਬਦਿ ਸੁਣਾਈ ॥
सभु किछु आपे आपि है गुर सबदि सुणाई ॥
Sabʰ kichʰ aapé aap hæ gur sabaḋ suṇaa▫ee.
He Himself is everything; this is what the Word of the Guru’s Shabad says.
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ਆਪੇ ਕੁਦਰਤਿ ਸਾਜੀਅਨੁ ਕਰਿ ਮਹਲ ਸਰਾਈ ॥
आपे कुदरति साजीअनु करि महल सराई ॥
Aapé kuḋraṫ saajee▫an kar mahal saraa▫ee.
Through His almighty creative power, He created and fashioned the mansions and hotels.
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ਚੰਦੁ ਸੂਰਜੁ ਦੁਇ ਚਾਨਣੇ ਪੂਰੀ ਬਣਤ ਬਣਾਈ ॥
चंदु सूरजु दुइ चानणे पूरी बणत बणाई ॥
Chanḋ sooraj ḋu▫é chaanṇé pooree baṇaṫ baṇaa▫ee.
He made the two lamps, the sun and the moon; He formed the perfect form.
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ਆਪੇ ਵੇਖੈ ਸੁਣੇ ਆਪਿ ਗੁਰ ਸਬਦਿ ਧਿਆਈ ॥੧॥
आपे वेखै सुणे आपि गुर सबदि धिआई ॥१॥
Aapé vékʰæ suṇé aap gur sabaḋ ḋʰi▫aa▫ee. ||1||
He Himself sees, and He Himself hears; meditate on the Word of the Guru’s Shabad. ||1||
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ਵਾਹੁ ਵਾਹੁ ਸਚੇ ਪਾਤਿਸਾਹ ਤੂ ਸਚੀ ਨਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
वाहु वाहु सचे पातिसाह तू सची नाई ॥१॥ रहाउ ॥
vaahu vaahu saché paaṫisaah ṫoo sachee naa▫ee. ||1|| rahaa▫o.
‘Waaho! Waaho!’ Hail, hail, O True King! True is Your Name. ||1||Pause||
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ਸਲੋਕੁ ॥
सलोकु ॥
Salok.
Shalok:
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ਕਬੀਰ ਮਹਿਦੀ ਕਰਿ ਕੈ ਘਾਲਿਆ ਆਪੁ ਪੀਸਾਇ ਪੀਸਾਇ ॥
कबीर महिदी करि कै घालिआ आपु पीसाइ पीसाइ ॥
Kabeer mahiḋee kar kæ gʰaali▫aa aap peesaa▫é peesaa▫é.
Kabir! I ground myself into henna paste.
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ਤੈ ਸਹ ਬਾਤ ਨ ਪੁਛੀਆ ਕਬਹੂ ਨ ਲਾਈ ਪਾਇ ॥੧॥
तै सह बात न पुछीआ कबहू न लाई पाइ ॥१॥
Ṫæ sah baaṫ na puchʰee▫aa kabhoo na laa▫ee paa▫é. ||1||
O my Husband Lord, You took no notice of me; You never applied me to Your feet. ||1||
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ਮਃ ੩ ॥
मः ३ ॥
Mėhlaa 3.
Third Mehl:
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ਨਾਨਕ ਮਹਿਦੀ ਕਰਿ ਕੈ ਰਖਿਆ ਸੋ ਸਹੁ ਨਦਰਿ ਕਰੇਇ ॥
नानक महिदी करि कै रखिआ सो सहु नदरि करेइ ॥
Naanak mahiḋee kar kæ rakʰi▫aa so saho naḋar karé▫i.
O Nanak! My Husband Lord keeps me like henna paste; He blesses me with His Glance of Grace.
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ਆਪੇ ਪੀਸੈ ਆਪੇ ਘਸੈ ਆਪੇ ਹੀ ਲਾਇ ਲਏਇ ॥
आपे पीसै आपे घसै आपे ही लाइ लएइ ॥
Aapé peesæ aapé gʰasæ aapé hee laa▫é la▫é▫é.
He Himself grinds me, and He Himself rubs me; He Himself applies me to His feet.
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ਇਹੁ ਪਿਰਮ ਪਿਆਲਾ ਖਸਮ ਕਾ ਜੈ ਭਾਵੈ ਤੈ ਦੇਇ ॥੨॥
इहु पिरम पिआला खसम का जै भावै तै देइ ॥२॥
Ih piram pi▫aalaa kʰasam kaa jæ bʰaavæ ṫæ ḋé▫é. ||2||
This is the cup of love of my Lord and Master; He gives it as He chooses. ||2||
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ਪਉੜੀ ॥
पउड़ी ॥
Pa▫oṛee.
Pauree:
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ਵੇਕੀ ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਉਪਾਈਅਨੁ ਸਭ ਹੁਕਮਿ ਆਵੈ ਜਾਇ ਸਮਾਹੀ ॥
वेकी स्रिसटि उपाईअनु सभ हुकमि आवै जाइ समाही ॥
vékee sarisat upaa▫ee▫an sabʰ hukam aavæ jaa▫é samaahee.
You created the world with its variety; by the Hukam of Your Command, it comes, goes, and merges again in You.
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ਆਪੇ ਵੇਖਿ ਵਿਗਸਦਾ ਦੂਜਾ ਕੋ ਨਾਹੀ ॥
आपे वेखि विगसदा दूजा को नाही ॥
Aapé vékʰ vigsaḋaa ḋoojaa ko naahee.
You Yourself see, and blossom forth; there is no one else at all.
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ਜਿਉ ਭਾਵੈ ਤਿਉ ਰਖੁ ਤੂ ਗੁਰ ਸਬਦਿ ਬੁਝਾਹੀ ॥
जिउ भावै तिउ रखु तू गुर सबदि बुझाही ॥
Ji▫o bʰaavæ ṫi▫o rakʰ ṫoo gur sabaḋ bujʰaahee.
As it pleases You, You keep me. Through the Word of the Guru’s Shabad, I understand You.
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ਸਭਨਾ ਤੇਰਾ ਜੋਰੁ ਹੈ ਜਿਉ ਭਾਵੈ ਤਿਵੈ ਚਲਾਹੀ ॥
सभना तेरा जोरु है जिउ भावै तिवै चलाही ॥
Sabʰnaa ṫéraa jor hæ ji▫o bʰaavæ ṫivæ chalaahee.
You are the strength of all. As it pleases You, You lead us on.
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ਤੁਧੁ ਜੇਵਡ ਮੈ ਨਾਹਿ ਕੋ ਕਿਸੁ ਆਖਿ ਸੁਣਾਈ ॥੨॥
तुधु जेवड मै नाहि को किसु आखि सुणाई ॥२॥
Ṫuḋʰ jévad mæ naahi ko kis aakʰ suṇaa▫ee. ||2||
There is no other as great as You; unto whom should I speak and talk? ||2||
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ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੩ ॥
सलोकु मः ३ ॥
Salok mėhlaa 3.
Shalok, Third Mehl:
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ਭਰਮਿ ਭੁਲਾਈ ਸਭੁ ਜਗੁ ਫਿਰੀ ਫਾਵੀ ਹੋਈ ਭਾਲਿ ॥
भरमि भुलाई सभु जगु फिरी फावी होई भालि ॥
Bʰaram bʰulaa▫ee sabʰ jag firee faavee ho▫ee bʰaal.
Deluded by doubt, I wandered over the whole world. Searching, I became frustrated.
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